टोंक | शहर के समर्पित गौरक्षा दल, जो पिछले चार वर्षों से घायल, बीमार, दिव्यांग और दुर्घटनाग्रस्त जीवों की निस्वार्थ सेवा में जुटा है, आज एम्बुलेंस की कमी के चलते गंभीर संकट का सामना कर रहा है। प्रशासन की उदासीनता और सहयोग की कमी ने इस सेवा को बाधित कर दिया है, जिससे न केवल जीवों का जीवन खतरे में पड़ रहा है, बल्कि यह सवाल भी उठता है कि आखिरकार प्रशासन ऐसे महत्वपूर्ण सेवा कार्यों की अनदेखी क्यों कर रहा है?


गौरक्षा दल के कार्यकर्ता, जो अपने समर्पण और सेवा भाव के लिए टोंक शहर में परिचय के मोहताज नहीं हैं, एम्बुलेंस की अनुपलब्धता के कारण आए दिन कठिनाइयों का सामना करते हैं। पशुओं को समय पर चिकित्सा सहायता पहुंचाने में एम्बुलेंस की कमी एक बड़ी बाधा बन गई है।
इस मुद्दे पर शहर के समाजसेवी, पत्रकार, अधिकारी, व्यापारी और दानवीर भामाशाहों से भी अपील की गई है कि वे इस पुनीत कार्य में सहायता करें। लेकिन प्रशासन की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कदम न उठाया जाना बेहद चिंताजनक है। क्या प्रशासन के पास इतने संवेदनशील मुद्दे के लिए समय नहीं है?
गौरक्षा दल की यह अपील न केवल समाजसेवियों के लिए एक आह्वान है, बल्कि यह प्रशासन की जिम्मेदारियों की भी याद दिलाती है। क्या टोंक का प्रशासन इतनी बेसिक जरूरत को भी पूरा नहीं कर सकता? अगर नहीं, तो फिर जनता और समाजसेवियों को खुद ही आगे आना होगा।
राजस्थान और केंद्र सरकार दोनों ने गोसेवा के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं
- राजस्थान में गोसेवा योजनाएँ:
- मुख्यमंत्री गो संवर्धन योजना: इस योजना का उद्देश्य गौशालाओं को सहायता प्रदान करना और गायों के संरक्षण को बढ़ावा देना है। इसके तहत गौशालाओं को आर्थिक सहायता दी जाती है ताकि वे गायों की बेहतर देखभाल कर सकें।
- गोपालन प्रोत्साहन योजना: इस योजना के तहत किसानों को गाय पालन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें वित्तीय सहायता दी जाती है। इसका लक्ष्य दुग्ध उत्पादन को बढ़ाना और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन करना है।
- कैमल संरक्षण एवं विकास मिशन: यह योजना ऊंटों के संरक्षण के लिए है, लेकिन इसके तहत भी गोसेवा के पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है।
- केंद्र सरकार की योजनाएँ:
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन: इस योजना का उद्देश्य देशी नस्लों का संरक्षण और विकास करना है। इसके तहत उच्च गुणवत्ता वाले गोपालन, डेयरी विकास, और गायों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाता है।
- कामधेनु आयोग: यह आयोग गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम करता है। इसके तहत गायों की देखभाल, प्रजनन, और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएँ चलाई जाती हैं।
ये योजनाएँ राज्य और केंद्र स्तर पर गोसेवा के लिए महत्वपूर्ण प्रयासों का हिस्सा हैं, जिनका उद्देश्य गायों के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देना है।