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कवि :- “नायक” बाबू लाल नायक
नटवर नागर, नन्द गोपाला,
पीछे-पीछे दौड़े आये बाल गोपाला।
मटकी फोड़ी, माखन चुराया,
ग्वाल-बाल सब आनंद उठाया।
सुन बांसुरी की तान सुरीली,
दौड़ी आई माखन छौड़ हठीली।
द्रोपदी ने करुण पुकार सुनाई,
भरी सभा आकर लाज बचाई।
मीरा पी गई जब विष का प्याला,
विष अमृत बनाया नन्दलाला।
नटवर नागर, नन्द गोपाला,
पीछे-पीछे दौड़े आये बाल गोपाला।
टूटा छकड़ा नरसी भगत का,
बड़ा दयालु रखवाला जगत का।
नानी बाई निमंत्रण स्वीकारा,
भरा अचंभित सहज ही मायरा।
धन्ना, पीपा-नामदेव मतवाला,
भक्तों का उद्धार करे नन्दलाला।
थाली भरकर लाये खीचड़ला,
ले चटखारे खाये मदनगोपाला।
घर-घर जाये माखन चुराये,
छींके रखी मटकियाँ फोड़कर जाये।
नटवर नागर, नन्द गोपाला,
पीछे-पीछे दौड़े आये बाल गोपाला।
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